मैंने तो यही देखा है कि स्त्रियाँ जाने अनजाने स्वयं ही अपने मानसिक दौर्बल्य की परिपोषक होती हैं..
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अधिकांशतः तो ये परिकलिप्त ही हुआ करते हैं. मैंने तो यही देखा है कि स्त्रियाँ जाने अनजाने स्वयं ही अपने मानसिक दौर्बल्य की परिपोषक होती हैं..
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किन्तु इतना जरूर कहूँगा कि ये किस प्रकार का मानसिक दौर्बल्य है कि जिस बात को हम निजी रूप में सहर्ष स्वीकार करते हैं, उसी को समाज के सामने स्वीकार करते हुए हिचकिचाने लगते हैं।
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किन्तु इतना जरूर कहूँगा कि ये किस प्रकार का मानसिक दौर्बल्य है कि जिस बात को हम निजी रूप में सहर्ष स्वीकार करते हैं, उसी को समाज के सामने स्वीकार करते हुए हिचकिचाने लगते हैं।
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भोगवादी प्रवृत्ति पुरुषों में भी यदि है तो वह उनका मानसिक दौर्बल्य ही है, उसे यदि स्त्री भी बराबरी का अधिकार मानते हुए अंगीकार करेगी तो फिर तो परिवार समाज और संस्कृति का अस्तित्व ही नहीं बचेगा...
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गुण: शंखपुष्पी दस्तावर, मेधा के लिए हितकारी, वीर्यवर्द्धक, मानसिक दौर्बल्य को नष्ट करने वाली, रसायन, कसैली, गर्म तथा स्मरणशक्ति, कांति, बल और अग्नि को बढ़ाने वाली एवं दोष, अपस्मार, कुष्ठ, कृमि तथा विष को नष्ट करने वाली है।
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भोगवादी प्रवृत्ति पुरुषों में भी यदि है तो वह उनका मानसिक दौर्बल्य ही है, उसे यदि स्त्री भी बराबरी का अधिकार मानते हुए अंगीकार करेगी तो फिर तो परिवार समाज और संस्कृति का अस्तित्व ही नहीं बचेगा.
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गुण: शंखपुष्पी दस्तावर, मेधा के लिए हितकारी, वीर्यवर्द्धक, मानसिक दौर्बल्य को नष्ट करने वाली, रसायन, कसैली, गर्म तथा स्मरणशक्ति, कांति, बल और अग्नि को बढ़ाने वाली एवं दोष, अपस्मार, कुष्ठ, कृमि तथा विष को नष्ट करने वाली है।
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मानसिक दुर्बलता: मानसिक दौर्बल्य, उन्माद, अनिद्रा आदि विकारों को दूर करने के लिए तरबूज का रस एक कप गाय का दूध एक कप और दो चम्मच पिसी मिश्री सफेद काँच की बोतल में भरकर रात को खुली चाँदनी में रखें और सुबह खाली पेट इसे पी जाएँ।